भीड़ के साथ हाथ लिए
कदमताल करना.
भीड़ के साथ सोच का
अविकसित होना.
भीड़ के साथ होते हुए इस
भय का होना कि
भीड़ से अलग सोचे तो बेदखल
कर दिए जाओगे.
भीड़ के साथ होने वाले
शोर में अपनी आवाज़ का दब जाना.
भीड़ के साथ में किसी का
साथ मिल जाना, छूट जाना, बिछड़ जाना, 
भीड़ में फिसलकर कर गिर
पड़ना और 
भीड़ के साथ ठहाका लगा कर
फिर
भीड़ के साथ आगे बढ़ जाना
एसा सिर्फ इसलिए करना क्यूंकि
भीड़ के बर्दास्त के बाहर है 
भीड़ के साथ उपहास में शरीक
न होते हुए क्रुद्ध हो जाना.
भीड़ के साथ होते हुए सामाजिक पशु का आभास होना फिर भी  
भीड़ के साथ होते हुए मानवीय भावनाओ का मर जाना 
भीड़ के साथ साथ होते हुए 
भीड़ के न्यास का पालन करना,
न किया तो भीड़ के अंधे फैसलों का शिकार होना. 
भीड़ के साथ होते हुए 
भेड़ के सामान एक रास्ते में चलना दूसरा कुछ न सोच पाना 
उन्ही सरहदों का पालन करना जो स्वार्थी हाकिम ने तै की हैं. 
भीड़ के साथ अपनों और दुश्मनों के बीच की लकीर बिना किसी तर्क के खिच जाना.
सच में, भीड़ के साथ आँख बंद करके चलना कितना सहज होता है.
सच में, लेकिन धिक्कार है एसी भीड़ के साथ जिसमे स्वयं का अस्तित्व मिट जाना. 
सच में, भीड़ का साथ न देने पर मुझे नाकारा साबित करने की कोशिश तो हुई 
सच में, भीड़ का साथ न देने पर मुझे दबाने की कोशिश तो हुई 
सच में, मैं शुक्रिया अदा करता हूँ उन पलों का 
जिन्होंने मुझे भीड़ का साथ देने से पीछे हटा लिया. 
और उन कुछ साहसिक पलों का जिसमे मैंने भीड़ का न सुनते हुए 
स्वयं पर यकीन किया.
वो पल मेरी धरोहर हैं. 
मैंने अपनी जरूरतों को कम करके
फिर भी फलक से भी ज्यादा फैलाव वाले विचार रखना 
भीड़ के साथ चलने वालों को कभी रास न आएगा 
आज जब मैंने भीड़ का साथ न देते हुए जीना सीख लिया 
मैंने स्वयं को पहचान लिया.
भीड़ का साथ न देने पर  
मैं आज अपना शुक्रगुजार हूँ.
