ऐ वक़्त तू बच्चे जैसा है
कभी हंसाता कभी रुलाता है
तेरा हाँथ पकड़ना चाहो तो छुड़ा के भागता है
ऐ वक्त तू बच्चे जैसा है
ऐ वक्त तेरी नादानी भी कुछ अज़ीब है
मंजिल मिलते ही मंज़र बदल जाता है
मेरा
वर्त्तमान तुझे पसंद नहीं कभी,
मेरा
भूत मुझे मुझे पसंद नहीं कभी,
तेरी
मेरी इसी खींचतान को लेकर
इसलिए
तू मेरे भविष्य को लेकर अठखेलियां करता है
ऐ वक्त
तू बच्चे जैसा है.
कभी
तो साथ मेरे साथ चला कर
कभी
तो पासों का खेल मेरे खिलाफ न खेल कर
No comments:
Post a Comment