Pages

Thursday, 14 March 2013

नया सवेरा


नया  सवेरा

एक बार पूछा मैंने
अपने सिरजनहार से 
"बताएं प्रभु मुझे ऐसा मार्ग
जिस पर चल कर मैं बन जाऊं
दिनकर करूं नया  सवेरा, 
क्यूंकि अब घनघोर हो गया है 
यह अँधेरा
जिसने बना लिया है 
चक्रव्यूह का घेरा
तमस का बन गया है 
हृदय मैं मेरे रेन-बासेरा "

मिला उत्तर मुझे 
" हे मानव!
 क्यूँ करते हो व्यर्थ चिंतन
यह रात का अँधेरा
हो भले ही घनघोर
लेकिन सुबह है अगले छोर
काल का भय कैसा 
जब हूँ मैं तुम्हारे साथ हमेशा
बस मेरी ज्योति को रखना 
प्रजुवलित अपने हिय में हमेशा
ऐसा करने से 
बन जाओगे तुम
दिनकर 
और
 हो जायेगा 
      नया सवेरा !!!"



1 comment: