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Thursday, 19 November 2015

अभाव


अतीत को अपने मन के जरोखों से देखता हूँ
अतीत जो यादों के सूत्र में पूरा बचपन-लड़कपन
प्रतीत होता है ये कल की ही तो बात है
प्रतीक हैं यह अल्फाज़ मेरे
अतीत की उन घटनाओ की
अतीत जिसमें कई थे
अभाव.
अभाव जो झकझोरते आयें है मुझे वर्षो से
अभाव हैं, लेकिन चाहता था की तुम आज मुझे देख पाते
अभाव हैं, लेकिन सूत्र तो टूटना नहीं चाहिए था
आभाव है मुझे उस महीन धागे के टूटने का,लेकिन
अभाव होते हुए भी स्वाभाव में होने का भाव है मुझे.

अभाव हैं मुझे लेकिन आशा है तुम फिर आओगे-.

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